ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होई – love is god – love is all-around

प्रेम-प्यार-इशक़-माया-अनुराग-प्रीत और न जानें कितने नाम है इस पवित्र रिस्ते के , न जानें कितने तरह के भाव है
न तो कोई सीमा है न कोई बंधन है , ये तो बस उरना जनता है प्यार बाटना जानता है !
पोथी-पोथी पढ़ जग मुआ , पंडित भया न कोई
ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होई !!
कबीरदास ने क्या सही कहा था , मैं तो नत मस्तक हु उनके इस विचार पे , इस सन्देस पे !
प्रकृति ने या उस नीले छतरी वाले ने कोई बंदिसे बन्दों पे नही लगायी ये तो हम है जिन्होंने मानव को मानव से बाटा,
पहले धर्म के नाम पर, फिर जात के नाम पर फिर रास्ट्रीयता के नाम पर, रंग-भेद के नाम पर फिर बाटा आमिर-गरीब के नाम पर
, बस बाटते रहे – बस बाटते रहे, और जिन्होंने भी जोरने का प्यार का धागा पिरोने का कम किया उन्हें पागल घोषित कर दिया !
खैर यहाँ मैं अपने पे आता हुँ !
मैं काफी खुस था अपने प्यार में , बरा भरोसा था, साथ जीने-मरने कि कस्मे भी दोहराता था
मगर आज से ११ साल पहले सिर्फ इसलिए मुझे छोर दिया गया ( शायद ) क्युकी मेरा सरनेम श्रेस्ठ था
और उनका कुछ और ……….
न उम्र कि सीमा हो न जन्म का हो बंधन – जब प्यार करे कोई तो देखे केवल मन …………………………………………

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और हम आज भी उनके है
विशाल श्रेस्ठ

ये सफ़र बहुत है कठिन मगर न उदास हो मेरे हमसफ़र ( ye safar bahut hai kathin magar ) my favorite song

गायक : शिवाजी चटोपाध्याय जी का गाया ये गाना मेरी ज़िन्दगी में एक सन्देश ले कर आया था , संगीतकार : राहुलदेव बर्मन गीतकार : जावेद अख्तर के दवारा फ़िल्म १९४२ अ लव स्टोरी में फिल्माया गया था , संजोग-वश ये बर्मन जी का आखिरी फ़िल्म रही,
इस गाने में छिपे सन्देश को समझना बहुत जरुरी है खास कर युवा वर्ग को , आप भी सुने और गुन-गुनाए —
ये सफ़र बहुत है कठिन मगर न उदास हो मेरे हमसफ़र ,
दिल ना उम्मीद तो नहीं, नाकाम ही तो हैं
लंबी हैं गम की शाम, मगर शाम ही तो है

ये सफ़र बहोत हैं कठीन मगर
ना उदास हो मेरे हमसफ़र

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ये सितम की रात हैं ढलने को

है अन्धेरा गम का पिघलने को

ज़रा देर इस में लगे अगर
ना उदास हो मेरे हमसफ़र

नहीं रहनेवाली ये मुश्किलें
के हैं अगले मोड़ पे मंझीले
मेरी बात का तू यकीन कर
ना उदास हो मेरे हमसफ़र

कभी ढूंढ लेगा ये कारवां
वो नयी जमीन, नया आसमान
जिसे ढूँढती हैं तेरी नजर
ना उदास हो मेरे हमसफ़र

विशाल श्रेस्ठ

Lord Buddha Born here – Lumbini (my visit)

I want to be a traveller, I love travelling but somehow I am not able to travel the hole world, I  just came from lumbini -the place where lord Buddha born

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the place were lord born – taken by google , coz photography not allowed there –  Image

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lord buddha born in lumbini nepal rupandehi district 623 and 543 BCE, mayadevi temple is the place were lord born, its a beautiful place to visit for worship

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there are 32 temple in this place, from different  countries, burma, thai,nepal, lanka, india, germany……  all of us love to visit

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the holy tree were lord take first samdhi

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thanks for visiting

vishal shresth