जगजीत – यथा नाम तथा गुण
ग़ज़लप्रेमी कभी भी इस नाम को नहीं भूल सकते, जगत को अपने सुमुधुर स्वर से जित चुके स्वर्गीय श्री जगजीत सिंह की पुण्य तिथि १० ओक्टुबर को उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि!
जगजीत सिंह उर्फ़ जगमोहन सिंह का जन्म ०८ फेब सं १९४१ को श्री गंगानगर राजस्थान में हुआ था,श्री अमर सिंह और श्रीमती बच्चन कौर के घर में जन्मे इस चिराग का नाम जगमोहन था, किन्तु आस्था औए विस्वास के कारन नामधारी सिख गुरु जी के कहने पे उनका नाम जगजीत रख दिया, शायद उनको उनके बाल्यावस्था में ही उनके जग को जित लेने का आभास हो चुका था|
जगजीत जी मेरे दिल के काफी करीब है, एक समय था जब मै था और मेरे जगजीत जी के गीते थी, उस समय मेरे जीवन की धारा जगजीतजी की स्वर से चलती थी जिन गीतों ने मेरे दिल में जगह बनायीं और मुझे कई बार गुनगुनाने को मजबूर किया उनमे से कुछ गीत है –
१-ये बतादे मुझे ज़िन्दगी , फुल क्यों सरे मुरझा गए
२-ये दौलत भी ले लो , ये सौहरत भी ले लो भले छिन लो हमसे मेरी
३-तेरे आने की जब खाबे महके तेरे खुसबू से सारा घर महके
४-अगर हम कहे और वो मुस्कुरा दे हम उनके लिए……
जगजीतजी ने खालशा हाई स्कूल श्री गंगा नगर और डी ए भी कॉलेज जालंधर से शिक्छा प्राप्त करने के बाद कुरुछेत्र युनिवेर्सिटी हरियाणा से पोस्ट ग्राजूइत की डिग्री ली | उनके कालेज काल में ही लोग उनके प्रतिभा के कायल हो चुके थे| उनके पिता का साथ और प्रोत्साहन बराबर उनको मिलता रहा, अपने शास्त्रीय संगीत की शिक्छा उन्होंने प्राम्भ में श्री पंडित छगनलाल शर्मा और बाद में उस्ताद जमाल खान से ली, उनके गुरु भी उनके लग्न से काफी प्रभावित थे, कितने कम लीग जानते थे की जगजीत जी गुरूद्वारे में भी गाते थे और वो एक पगरी पहनने वाले धार्मिक सिख थे| उनकी युवा-वस्था की तस्वीर है ये ——–
मार्च १९६५ में जगजीत जी ने पहली बार अपने पिता को बिना बताये मुंबई की और रुख कर ही दिया, क्युकी अगर संगीत की छेत्र में अपनि प्रतिभा का लोहा मनवाना है तो मुंबई के फ़िल्मी जगत में अपनी उपस्थिति दर्ज करवानी होगी ,मुंबई में लोगो ने उनके गीतों सराहा मगर एक सिख पगरी पहनने वाले सिख को गजल जगत इतनी आसानी से स्वीकार नहीं कर पा रहा था, की तभी उन्होंने अपने संगीत प्रेम के लिए न कहते हुए भी दुखी मन से पगरी त्याग दी|
जगजीत जी को काफी संघर्ष करना परा की तभी(१९६७ में ) उनके जीवन में फूलो की महक लेकर एक बंगाली महिला का आगमन हुआ| चित्रा दत्ता, जो की खुद संघर्ष कर रही थी, अपने गायकी और दुखद वैवाहिक जीवन के संघर्ष में जगजीत का साथ चित्रा जी को एक नवजीवन प्रदान किया,सन १९६९ को डिवोर्स लेने के बाद चित्रा जी ने जगजीत से विवाह कर लिया, मगर उन दोनों का संघर्ष जारी रहा , उस समय पकिस्तान के गजल गायक सरे विस्व् में छाए हुए थे , मगर कहते है न की प्रतिभा कभी बेकार नहीं जाती, १९७६ में जो हुआ उसने समय की धारा का रुख ही बदल दिया , द आन्फोरगेतेब्ल जगजीत जी की पहली सुपरहिट अल्बम ने समूचे दुनिया को उनका आशिक बना दिया|
अर्थ (१९८१), साथ-साथ (१९८२) और प्रेमगीत(1982) फिल्मो में गाये गीत ने जगजीत जी को अमर बना दिया, उनके लाइव कंसर्ट में हजारो की भीर उमरने लगी,देल्ही, मुंबई, लन्दन, न्यूयोर्क और पाकिस्तान हर जगह उनको बुलाया जाने लगा| उनके कुछ प्रसिद्ध गाने इस प्रकार है
प्रेमगीत (फिल्म) होठो से छु लो तुम मेरे गीत अमर कर दो |
अर्थ (फिल्म) १–झुकीझुकीसीनज़र
२–कोईयेकैसेबतायेकीवोतनहाक्यूहै
३– तेरेखुसबूमेंबसेख़तमेंजलाताकैसे
४– तूनहीतोज़िन्दगीमें
५– तंइतनाजोमुस्कुरारहेहो, क्यागमहैजिसको |
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साथसाथ (फिल्म) १– प्यारमुझसेजोकियातुमने
२– तुमकोदेखातोयेख्यालआया
३– येबतादेमुझेज़िन्दगी
४– येतेराघरयेमेराघर
५– युज़िन्दगीकेरहमें |
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रावण – हमतोयुअपनीज़िन्दगीसेमिले |
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नरगीश – दोनों के दिल है मजबूर |
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मम्मो – हज़ार बार रुके हज़ार बार चले |
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निम् का पैर (टी वि सीरियल)-मुह की बात सुने हर कोई
दुश्मन – – चिठ्ठी न कोई सन्देश
सरफ़रोश – होशवालो को खबर क्या
तरकीब – किसका चेहरा अब मै देखू
तुम बिन- कोई फरियाद दिखाई
जोगर्स पार्क – बड़ी नाजुक है उलझन
पिंजर – हाथ छुते भी तो
खाप- तुमसे बिछर के ( ये वो गीते है जो मुक्झे बहुत पसंद है )
इन फ़िल्मी गीतों के अलावा जगजीत जी के कई एल्बम भी काफी हिट हुए , जैसे-१- द उन्फोर्गत्ब्ल , २- मिरासिम ३-सजदा (लता जी के साथ) ४-इन साईट ५- इन सर्च ,६-इन सिंक (आशा जी के साथ) ७-अदा , ८-आवाज, ९- चिराग ,१०-दिल (लता जी और आसा जी के साथ )११-क्लोज तो माय हर्ट(उनके पसंद के गानों का संग्रह ) १२-लव इस ब्लाइंड,१३-माँ ,१४-फोरगेट मी नोट ,१५-सहर १६-संवेदना (वाजपेयीजी के गीत),१७-संयोग (नेपाली ग़ज़ल )१८-तूगेदर,१९-त्रिसना (बंगाली),२० कृष्ण (भक्ति गीत) इन अलबमो के अलावा भी दर्ज़नो और अल्बुम्स है जिनकी मुझे अभी जानकारी या यद् नहीं है
सन १९९० से जगजीत जी के जीवन में कई तूफ़ान आये और जगजीतजी काफी टूट से गए , १९९० में जगजीत जी के पुत्र विवेक जी का रोड एक्सीडेंट में मौत हो गयी और जगजीत जी काफी दिनों तक गम के साए में घिर गए , चित्र जी ने तो सार्वजनिक जगहों में जाना तक छोर दिया, जगजीत जी के दर्द को उनके गीतों में बाद में देखा गया | २००९ में चित्राजी के पहले पति से प्राप्त हुए बेटी मोनिका ने अपने निजी जीवन से तंग आकर खुदखुसी कर ली, चित्र जी और टूट सी गयी, जगजीतजी भी फिर गमो से घिर गए,|
गुलाम अली (गजल सम्राट) भी जगजीत जी की बहुत इज्जत करते थे , अपने अंतिम समय में जगजीत जी गुलाम अली के साथ एक परफोर्म करने लन्दन जाने वाले थे, किन्तु खुदा को कुछ और ही मंजूर था, २३ सिताम्बे २०११ को मस्तिस्क आघात के कारन लीलावती हसपटल मुंबई में उनको भारती होना परा, सरे देशवासियों की दुआओं के बावजूद करीब २ हफ्ते बाद दिनाक १० ओक्टुबर को जगजीत जी चिर-निंद्रा में चले गए, एक युग का अंत हो गया, मगर जगजीतजी आज भी जीवित है हमारे दिलो में और संगीत के हर स्वर में वो मौजूद है , वो मौजूद है !!!
thanks
vishal shresth